जानबूझकर लोन न चुकाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने को RBI ने बैंकों से कहा
24 दिसंबर 2024, ETN Times News – भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे जानबूझकर लोन न चुकाने वाले ग्राहकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करें। यह कदम बैंकों की आर्थिक स्थिरता को बनाए रखने और वित्तीय अनुशासन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
लोन न चुकाने वालों के खिलाफ RBI के निर्देशों का मुख्य उद्देश्य
RBI ने हाल ही में बैंकिंग उद्योग के अधिकारियों के साथ एक बैठक आयोजित की, जिसमें जानबूझकर लोन न चुकाने की प्रवृत्ति पर गंभीर चिंता जताई गई। बैठक में यह निष्कर्ष निकाला गया कि ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई न होने के कारण बैंकों की संपत्तियों की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
RBI के अनुसार:
बैंकों को “जानबूझकर डिफॉल्टर” के मामलों की पहचान करने और त्वरित कार्रवाई करने के लिए एक प्रभावी तंत्र स्थापित करना चाहिए।
लोन न चुकाने वालों के खिलाफ कानूनी प्रक्रियाओं में तेजी लाने के लिए फास्ट-ट्रैक कोर्ट्स का सहारा लेना चाहिए।
कर्ज वसूली के लिए प्रभावी रणनीतियां अपनानी चाहिए, जैसे कि संपत्ति जब्त करना और नीलामी प्रक्रिया को तेज करना।
जानबूझकर डिफॉल्टर कौन होते हैं?
RBI के नियमों के अनुसार, ऐसे व्यक्ति या संस्थान जो अपनी वित्तीय स्थिति ठीक होने के बावजूद लोन चुकाने से मना करते हैं, उन्हें “जानबूझकर डिफॉल्टर” की श्रेणी में रखा जाता है।
लोन न चुकाने वालों के खिलाफ पहचान के मुख्य मानदंड:
कर्जदाता की बार-बार की गई सूचनाओं को नजरअंदाज करना।
लोन की राशि का उपयोग निर्धारित उद्देश्य से हटकर करना।
झूठी जानकारी या दस्तावेज प्रस्तुत करना।
बैंकों की रणनीतियों में बदलाव
RBI ने सुझाव दिया है कि बैंकों को अपनी जोखिम प्रबंधन प्रणाली को सुदृढ़ बनाना होगा। साथ ही, बैंकों को कर्ज मंजूरी के समय सावधानी बरतनी होगी और कर्जदार की वित्तीय स्थिति का गहन विश्लेषण करना होगा।
प्रमुख उपाय:
क्रेडिट हिस्ट्री की जांच – कर्जदार के पिछले रिकॉर्ड का विस्तृत मूल्यांकन।
सख्त अनुबंध शर्तें – लोन एग्रीमेंट में सख्त प्रावधान जो किसी भी प्रकार के डिफॉल्ट की स्थिति में तुरंत कार्रवाई की अनुमति दें।
समय पर फॉलो-अप – लोन पुनर्भुगतान की स्थिति की नियमित निगरानी।
आर्थिक प्रभाव
जानबूझकर लोन न चुकाने वालों के खिलाफ डिफॉल्ट के मामलों पर सख्त कार्रवाई न केवल बैंकों के लिए बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभकारी साबित होगी। यह कदम वित्तीय क्षेत्र में विश्वास बहाली करेगा और संसाधनों का सही उपयोग सुनिश्चित करेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बैंकों ने RBI के दिशा-निर्देशों का पालन किया, तो गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (NPA) में कमी आएगी।