Income Tax Return: आखिरी दिन पर लेट फाइलिंग करने पर पेनल्टी और प्रक्रिया
हर साल, भारत सरकार द्वारा निर्धारित एक अंतिम तिथि तक Income Tax Return (ITR) दाखिल करना अनिवार्य होता है। लेकिन कई बार समय का प्रबंधन सही तरीके से न हो पाने के कारण लोग आखिरी समय तक ITR फाइल नहीं कर पाते हैं। यदि आप भी उन लोगों में शामिल हैं, जो समय पर अपना आयकर रिटर्न दाखिल नहीं कर पाए हैं, तो आपको यह जानने की आवश्यकता है कि लेट फाइलिंग पर पेनल्टी क्या होती है और ITR दाखिल करने की प्रक्रिया कैसे पूरी की जाती है। इस लेख में हम आपको यही सब जानकारी विस्तार से देंगे।
लेट फाइलिंग के लिए क्या है अंतिम तिथि?
आमतौर पर, आयकर रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई होती है। हालांकि, विभिन्न स्थितियों के आधार पर इस तारीख को बढ़ाया भी जा सकता है। लेकिन यदि आपने निर्धारित तारीख तक रिटर्न दाखिल नहीं किया है, तो आपको लेट फाइलिंग के तहत अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना पड़ सकता है।
लेट फाइलिंग पर पेनल्टी:
यदि आप अंतिम तिथि के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं, तो आपको लेट फाइलिंग की पेनल्टी का सामना करना पड़ सकता है। पेनल्टी की राशि आयकर विभाग के नियमों के अनुसार तय होती है और यह निम्नलिखित है:
1. ₹5,000 तक की पेनल्टी: यदि आप आयकर रिटर्न को निर्धारित तिथि से 1 से 3 महीने बाद दाखिल करते हैं, तो आपको ₹5,000 तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
2. ₹10,000 तक की पेनल्टी: यदि आप 3 महीने से अधिक समय के बाद आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं, तो आपको ₹10,000 तक का जुर्माना लग सकता है।
3. छोटे आय वाले व्यक्तियों के लिए राहत: यदि आपकी आय ₹5 लाख या इससे कम है, तो लेट फाइलिंग पर अधिकतम ₹1,000 तक की पेनल्टी लागू हो सकती है।
लेट फाइलिंग के बाद आयकर रिटर्न कैसे दाखिल करें?
यदि आपने आखिरी तारीख के बाद ITR दाखिल नहीं किया है, तो अब भी आप इसे फाइल कर सकते हैं। लेट फाइलिंग करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:
1. आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं:
सबसे पहले आपको आयकर विभाग की आधिकारिक वेबसाइट (https://incometaxindiaefiling.gov.in) पर जाना होगा। वहां पर “Login” का विकल्प मिलेगा, जहां आपको अपने पैन कार्ड नंबर और पासवर्ड के माध्यम से लॉगिन करना होगा।
2. ITR फॉर्म का चयन करें:
आपको अपना ITR फॉर्म चुनना होगा, जो आपके आय और आय के स्रोत के अनुसार होता है। उदाहरण के लिए, अगर आप नौकरी पेशा व्यक्ति हैं, तो ITR-1 फॉर्म का चयन करें।
3. आवश्यक जानकारी भरें:
फॉर्म में अपने आय के स्रोत, कटौती, टैक्स भुगतान और अन्य जरूरी विवरण भरें। इसमें आपको अपने पिछले साल के आय और कर संबंधी जानकारी का ध्यान रखना होगा।
4. लेट फाइलिंग पेनल्टी का भुगतान करें:
अगर आपने रिटर्न समय पर फाइल नहीं किया है, तो आपको जुर्माना भी भरना होगा। यह जुर्माना आपके द्वारा फाइल किए गए फॉर्म में स्वचालित रूप से दिखाई देगा, और आपको इसका भुगतान करना होगा।
5. रिटर्न सबमिट करें:
सारी जानकारी भरने के बाद, आपको “Submit” बटन पर क्लिक करके अपना रिटर्न फाइल करना होगा। इसके बाद, आपको एक ई-रसी (e-Receipt) प्राप्त होगी, जो यह प्रमाणित करती है कि आपका रिटर्न सफलतापूर्वक दाखिल कर दिया गया है।
6. ITR वेरिफाई करें:
रिटर्न फाइल करने के बाद, आपको उसे वेरिफाई करना होगा। वेरिफिकेशन प्रक्रिया के लिए आप आधार OTP, ई-साइन या पिन जनरेट करके ई-फाइलिंग पोर्टल के माध्यम से इसे वेरिफाई कर सकते हैं। यह प्रक्रिया आपके रिटर्न को कन्फर्म करती है।
लेट फाइलिंग के फायदे और नुकसान:
फायदे:
– आप लेट फाइलिंग के बावजूद अपनी टैक्स क्रेडिट का फायदा उठा सकते हैं।
– आयकर रिटर्न दाखिल करने से आपको कर संबंधी विवादों से बचने का मौका मिलता है।
नुकसान:
– पेनल्टी का भुगतान करना पड़ता है, जो आपके टैक्स के अतिरिक्त खर्च हो सकता है।
– टैक्स रिफंड में देरी हो सकती है।
– आयकर विभाग का ध्यान आपके रिटर्न पर अधिक हो सकता है, जिससे आडिट का जोखिम बढ़ सकता है।
लेट फाइलिंग पर पेनल्टी का भुगतान करना एक नकारात्मक पहलू हो सकता है, लेकिन यह बेहतर है कि आप समय पर या कम से कम आखिरी तारीख से पहले अपना आयकर रिटर्न फाइल करें। यदि आप समय पर इसे दाखिल नहीं कर पाए हैं, तो फिर भी आपको आयकर विभाग की वेबसाइट पर जाकर रिटर्न फाइल करने का मौका मिलता है। ध्यान रखें कि लेट फाइलिंग पर पेनल्टी के साथ-साथ आप अपनी कर दायित्वों को पूरा करने से बच सकते हैं और भविष्य में किसी भी प्रकार की कानूनी परेशानियों से बच सकते हैं।
तो, चाहे आप समय से पहले या लेट फाइलिंग कर रहे हों, ITR दाखिल करना जरूरी है, ताकि आप किसी भी वित्तीय परेशानी से बच सकें और कर के मामलों में किसी भी प्रकार की जटिलता से बचें।