Sankranti: फसल, सद्भाव और आशा का त्योहार
Sankrantiभारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है, जो कृषि आधारित संस्कृति और भारतीय समाज के जीवन का अभिन्न हिस्सा है। यह त्योहार खासकर देश के विभिन्न हिस्सों में एकता, समृद्धि और नए अवसरों की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है। Sankranti का तात्पर्य केवल एक मौसम परिवर्तन से नहीं है, बल्कि यह कृषि, सामूहिक सद्भाव, और प्राकृतिक शुद्धता के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस लेख में हम Sankranti के महत्व, इसकी परंपराओं और इसके द्वारा उत्पन्न होने वाली आशा और समृद्धि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
1. Sankranti का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
Sankranti का त्यौहार हर साल 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है। यह सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का प्रतीक है, जिसे मकर Sankranti के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय संस्कृति में सूर्य को जीवन का स्रोत और आत्मा का प्रतीक माना जाता है। मकर Sankranti का पर्व यह दर्शाता है कि दिन बड़े होते हैं और रातें छोटी होती हैं, जो अंधकार से प्रकाश की ओर जाने की ओर इशारा करता है। यही कारण है कि यह पर्व अंधकार से मुक्ति, सकारात्मकता और नवीनीकरण का प्रतीक है।
2. कृषि और फसल का महत्व
Sankranti के समय भारत में अधिकतर किसान अपनी ताजगी से उगी फसलों की कटाई करते हैं। खासकर उत्तर भारत में यह समय गेंहू, मूंगफली और गन्ने की फसल काटने का होता है। इस त्योहार को “फसल कटाई का त्योहार” भी कहा जाता है क्योंकि किसान अपने परिश्रम का फल इस दिन प्राप्त करते हैं। पूरे भारत में लोग Sankranti के अवसर पर नए अनाज, खासकर तिल (तिल गुड़), गन्ना और मूंगफली का आदान-प्रदान करते हैं।
3. सद्भाव और सामूहिकता का प्रतीक
Sankranti का त्योहार सामाजिक मेलजोल और एकता का प्रतीक है। इस दिन लोग एक-दूसरे से मिलकर तिल और गुड़ का आदान-प्रदान करते हैं, जो मित्रता और सद्भावना का संदेश देता है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में, Sankranti के समय “तिल गुड़ खाओ, मीठा बोलो” की परंपरा निभाई जाती है। यह शब्द न केवल मिठास का प्रतीक होते हैं, बल्कि यह एक दूसरे के साथ शांति और मित्रता को बढ़ावा देने का भी संकेत हैं।
4. पक्षी और सूर्य पूजा
Sankranti के समय विशेष रूप से पक्षियों के प्रति श्रद्धा और उनका सम्मान बढ़ जाता है। दक्षिण भारत में इस दिन पक्षियों के लिए दाना डाला जाता है, ताकि वे नए मौसम के लिए मजबूत रहें। इसके अलावा, सूर्य देव की पूजा भी Sankranti के दिन की एक महत्वपूर्ण परंपरा है। सूर्योदय के समय लोग स्नान करके सूर्य को अर्घ्य देते हैं, ताकि उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
5. Sankranti के साथ जुड़ी आशा और नवजीवन की भावना
Sankranti का त्योहार केवल प्राकृतिक बदलावों का उत्सव नहीं है, बल्कि यह जीवन में नए अवसरों की शुरुआत और सकारात्मक बदलाव का प्रतीक भी है। यह समय नए साल की शुरुआत के रूप में देखा जाता है, जहां लोग पुराने साल को विदा कर नए वर्ष में नये उत्साह और उमंग के साथ कदम रखते हैं। इस दिन की विशेषता यह है कि लोग संकल्प लेते हैं और स्वयं को बेहतर बनाने के लिए नए लक्ष्यों का निर्धारण करते हैं। यही कारण है कि Sankranti के समय आशा और समृद्धि का संदेश फैलता है।
6. Sankranti के सांस्कृतिक उत्सव और परंपराएं
Sankranti का त्योहार भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न रूपों में मनाया जाता है।
– उत्तर भारत: उत्तर भारत में इसे मकर Sankranti के रूप में मनाया जाता है। यहाँ लोग तिल और गुड़ के लड्डू खाते हैं और पतंगबाजी का आनंद लेते हैं।
– दक्षिण भारत: दक्षिण भारत में इसे पोंगल के नाम से जाना जाता है, जिसमें लोग घर के आंगन में पोंगल पकाते हैं और सूर्य देव की पूजा करते हैं।
– महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में Sankranti को ‘उठानी एकादशी’ के रूप में मनाते हैं, जहां महिलाएं अपने घरों की सफाई करती हैं और रिश्तेदारों के साथ मिलकर तिल और गुड़ का आदान-प्रदान करती हैं।
7. Sankranti और पर्यावरण का महत्व
Sankranti के समय प्रकृति के प्रति आदर और संरक्षण का भी संदेश दिया जाता है। यह समय खेतों में नई फसलें उगाने का होता है, और ऐसे में पर्यावरण की देखभाल करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है। Sankranti का त्योहार हमें यह सिखाता है कि हम अपनी भूमि और पर्यावरण की देखभाल करें ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इसका लाभ उठा सकें।
Sankranti का त्योहार न केवल एक कृषि आधारित पर्व है, बल्कि यह समाज में सामूहिक सद्भाव, आशा और सकारात्मकता का प्रतीक भी है। यह हमें अपनी परंपराओं को याद दिलाता है, साथ ही प्रकृति और कृषि के महत्व को समझने का अवसर प्रदान करता है। Sankranti के समय फसल, सूर्य और जीवन की नवीनीकरण की भावना के साथ हम अपने जीवन में नए अवसरों और समृद्धि की शुरुआत करते हैं। इस त्योहार का संदेश हमें न केवल सामूहिकता और एकता का महत्व बताता है, बल्कि यह प्रकृति और अपने पर्यावरण के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा भी देता है।s, luctus nec ullamcorper mattis, pulvinar dapibus leo.